पंख चिड़िया के
पंख
चिड़िया के
उड़ान भरते
फरफराते , फुदफुदाते
लेकर जाते
नील गगन
कराने सैर दुनिया की
समुद्र की
उथल पुथल की
घने जंगल की
डरावनी आवाज की
नदी की
कलकल की
विशाल भूमण्डल पर
तमाम चीजों की I
पंख
चिड़िया के
खामोश चुप्पी साधें
सुनते शब्द
दुनिया के
उलटे सीधे
किन्तु साधकर
मौन व्रत
जुटे रहते
लक्ष्य पाने में I
पंख
चिड़िया के
उड़ान भरते
फरफराते , फुदफुदाते
लेकर जाते
नील गगन
कराने सैर दुनिया की
समुद्र की
उथल पुथल की
घने जंगल की
डरावनी आवाज की
नदी की
कलकल की
विशाल भूमण्डल पर
तमाम चीजों की I
पंख
चिड़िया के
खामोश चुप्पी साधें
सुनते शब्द
दुनिया के
उलटे सीधे
किन्तु साधकर
मौन व्रत
जुटे रहते
लक्ष्य पाने में I
अशोक बाबू माहौर