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हास्य कविता


                        

गधे से 

कुत्ता बोला -
भाई क्यों उदास होते हो ?
मीठा गीत गाते हो 
राह चलते भिखारी को 
हँसाते हो 
समाज में,
लोगों की जुबान पर 
नाम कमाते हो !
गधा ठनठनाया
ठसक गिराते बतिआया 
क्या करूँ दोस्त ?
अजीब बात है 
स्वर भी बेसुरा 
किन्तु शंख सा 
फुकता है 
तेज धमाल कर 
कानों में गुसता है 
रेल,बस भीड़ में 
गुस्सा कर हँसाता है !
                    अशोक बाबू माहौर