तांत्रिक की फूँख
गाँव में तांत्रिक का दबदबा आम था I वह झाड़ फूँख से लोगों को ठीक किया करता था I सब उसे भगवान की तरह पूजते थे I चारों तरफ उसी की चर्चाएँ हुआ करती थीं I
एक बार किसी बुजुर्ग महिला की तबियत ख़राब हो गई I वह तांत्रिक के पास गई I तांत्रिक ने भी झाड़ फूँख की किन्तु तबियत और बिगड़ती जा रही,अचानक उल्टियाँ भी होने लगीं I
तांत्रिक के पसीने छूटे जा रहे सारे उपाय करने के बावजूद कुछ समझ नहीं आ रहा I
किसी सज्जन पुरुष का उस रास्ते से निकलना हुआ I उन्होंने देखा तांत्रिक घबराया भागने की सोच रहा था I सज्जन पुरुष ने महिला को उठाया अस्पताल ले गए I
अब महिला की तबियत ठीक थी I तांत्रिक ने उस दिन से झाड़ फूंखना बंद कर दिया I सादा जीवन जीने लगा I
अशोक बाबू माहौर
गाँव में तांत्रिक का दबदबा आम था I वह झाड़ फूँख से लोगों को ठीक किया करता था I सब उसे भगवान की तरह पूजते थे I चारों तरफ उसी की चर्चाएँ हुआ करती थीं I
एक बार किसी बुजुर्ग महिला की तबियत ख़राब हो गई I वह तांत्रिक के पास गई I तांत्रिक ने भी झाड़ फूँख की किन्तु तबियत और बिगड़ती जा रही,अचानक उल्टियाँ भी होने लगीं I
तांत्रिक के पसीने छूटे जा रहे सारे उपाय करने के बावजूद कुछ समझ नहीं आ रहा I
किसी सज्जन पुरुष का उस रास्ते से निकलना हुआ I उन्होंने देखा तांत्रिक घबराया भागने की सोच रहा था I सज्जन पुरुष ने महिला को उठाया अस्पताल ले गए I
अब महिला की तबियत ठीक थी I तांत्रिक ने उस दिन से झाड़ फूंखना बंद कर दिया I सादा जीवन जीने लगा I
अशोक बाबू माहौर
