उधर खाई से
गिरा
हाँ गिरा
बच्चा किसी का
और वह चोटिल
फफक रहा
बहाता आँसू गोलमटोल I
किसी ने
उसे नहीं रोका
न समझाया
न दिखाई ममता
न दिखाई ममता
माँ की थोड़ी सी I
भीड़ आश्चर्य साधे
निहारती
खड़ी स्तम्भ सी ,
न बड़ाया
हाथ किसी ने ,
गरीब बच्चा
सजाकर होंठों पर माँ ..माँ
बुलाता
करता गुहार
शायद उसे देख कोई
माँ का स्पर्श करा दे I
अशोक बाबू माहौर