उपवन
उपवन में महकती रंग बिरंगे
पुष्पो की मधुर मधुर सी गंध !
विखेरते सब अपनी निराली
छटा वयार बहती जब मंद !!
गुलाब जूही, मोगरा, रातरानी
महकती कहीं चंपा, कचनार !
लाल गुलाबी श्वेत श्याम रंग
कहीं कहीं पुष्प खिले रतनार !!
अठखेलियाँ करती वृक्षों से
पुष्प पल्लवित होतीं लताएँ !
मधुर फल लिए झूमती कहीं
विटपों की कोमल शाखाएँ !!
कवि सुदामा दुबे