मोहब्बत का सफर
मोहब्बत का सफर
तुम्हारे बिन कैसा?
एक तुम्ही हो
मोहब्बत जगाती हो,
अंधेरे दिल में
चिराग जलाती हो
आज बाँहें फैलाकर
तुम्हें बुलाता हूँ
आओ ना, आ जाओ ना,
प्यार की कहानी गढ़
मुझमें समा जाओ ना!
अशोक बाबू माहौर
मोहब्बत का सफर
तुम्हारे बिन कैसा?
एक तुम्ही हो
मोहब्बत जगाती हो,
अंधेरे दिल में
चिराग जलाती हो
आज बाँहें फैलाकर
तुम्हें बुलाता हूँ
आओ ना, आ जाओ ना,
प्यार की कहानी गढ़
मुझमें समा जाओ ना!
अशोक बाबू माहौर