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कविता

मोहब्बत का सफर 

मोहब्बत का सफर
तुम्हारे बिन कैसा?
एक तुम्ही हो
मोहब्बत जगाती हो,

अंधेरे दिल में
चिराग जलाती हो
आज बाँहें फैलाकर
तुम्हें बुलाता हूँ
आओ ना, आ जाओ ना,
प्यार की कहानी गढ़
मुझमें समा जाओ ना!

           अशोक बाबू माहौर