तुम नारी हो

खामोश क्यों?
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तुम्हारे होंठ
सिले सिले से
तुम नारी हो
आधुनिक युग की
बढो
आगे बढो
दिखाओ बल अपना
शक्तियाँ अपार
जमाने को
ताकि बुरी नजरें
तुम पर
हावी न हो
ना ही टोके राह में
व्यर्थ
कोई नारी समझ।
अशोक बाबू माहौर
अशोक बाबू माहौर