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कविता




विश्वासघात

विश्वासघात
करे जब कोई
सीधे दिल पर
चोट लगती है।

अपने ही अक्सर ऐसा करते हैं
यही बात तो खलती है
दूर के रिश्तों की छोडो
सगे भाई भी ऐसा करते हैं
सम्पत्ति के बंटवारे में
अक्सर ऐसा करते हैं
जर जोरू जमीन की खातिर
अक्सर ही ऐसा होता है।

माता पिता के साथ में 
जो भाई घर पर रहता है 
शहर से दूर 
नौकरी करने वाले भाई 
साथ ये करता है 
पिता के न रहने पर 
अक्सर ऐसा होता है 
बहला फुसला करके 
माँ को भाई के साथ ही 
माँ को भी धोखा देता है
माँ को ही विश्वास में लेकर 
विश्वासघात वो करता है।

न वो बेटा माँ का है 
न भाई का भाई होता है 
विश्वासघात करे जो अपनों से 
अपना नहीं वो होता है।

ऐसा विश्वासघाती ही 
किसी को भी धोखा देता है, 
ये तो घर की बात है यारो
दोस्त, यार, पत्नी के साथ 
भी अक्सर ऐसा होता है 
विश्वास करो किस पर यारो
विश्वासघात जब होता है।
              
             अनन्त राम चौबे "अनन्त'' 
              जबलपुर (म. प्र.)
              मो. 9770499027