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कविता(अनन्तराम चौबे "अनन्त ")



घरवाली

घरवाली नाम सुनकर
पत्नी मायूस हो जाती है
इस मार्डन जमाने में
घरवाली नाम सुनकर
मायूसी सी लगती है ।

अरे भाई आपकी
अपनी पत्नी है ।
अर्धागनी है 
धर्मपत्नी है  
फिर क्यो सोलहवीं?
सदी की बात करते हो 
पत्नी कहो श्रीमति कहो
मेडम कहो डार्लिग कहो
पत्नी का नाम ले सकते हो 
ये क्या घरवाली कहकर?
बेचारी पत्नी को इस तरह
घरवाली कहकर बुलाते हो ।

कम से कम अपना न सही
पत्नी बच्चो का ख्याल रखो
आप से अच्छे तो बच्चे है
भले आपकी पत्नी है
बच्चो की माँ भी तो है ।

बच्चो को ही देखिये
कितना आदर्श सम्मान
से माँ को बुलाते है 
कभी माँ कभी मम्मी
कभी माताश्री कभी
मोम कहकर बुलाते  है 
अपनी माँ को कितना
मान सम्मान देते है ।

एक आप है अपनी
सुन्दर सुशील पढी
लिखी पत्नी को ये
घरवाली का सम्बोधन
देकर मिसाल देते हो  ।

शहर मे रहकर भी
शहर का परिवार का
नाम मिट्टी मे मिलाते हो 
पत्नी को अभी भी 
अनपढो जैसा सम्बोधन
देकर घरवाली कहते हो ।
   
                   अनन्तराम चौबे "अनन्त "
                   जबलपुर (म प्र)
                   9770499027