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कविता(अनन्तराम चौबे "अनन्त ")

जिन्दगी



जिन्दगी बड़ी
अजीब है
कभी हंसाती है
कभी रूलाती है
पल पल में अपना
रूप बदलती है ।

खुशियाँ तो आती है
फिर चली जाती है ,
जाते ही गम दे जाती है
गम हो
दुख हो
बहुत बेदर्दी से सताते है ।
सारी खुशियाँ
पल भर में मिट जाती है ।

जिन्दगी है
सुख दुख के झूले में  झूलती है ।
सपनो सी ये जिन्दगी
धूप छाँव सी बदलती है ।
खुशियाँ हो
सुखी जीवन हो
गुजरते,बीतते समय का
पता ही नही चलता है ।
पंख लगाये उड़ता है ।
जीने का हौसला बढता है ।
खुशबू सा महकता है ।
चाँद को तारो को
छूने का मन करता है ।

जिन्दगी के हर अरमानो को
खुशी से जीता है
बचपन युवा जवानी
बुढापे में भी खुश होता है
सुख दुख भरी ये जिन्दगी
हर इन्सान ऐसे ही जीता है ।
   
                     
                                अनन्तराम चौबे "अनन्त "
                                 जबलपुर (म प्र)
                                 9770499027