सुबह से शाम
सुबह से
शाम,
शाम से
रात तक
न जाने
कितनी बार
उनकी एक
झलक पाने
आँखें बिछी रहती है।
किसी दीवाने की तरह
आस लगाये
रहती हूँ ।
कभी तो
वो आयेंगे
अपनी
एक झलक
दिखायेंगे ।
खोये हुये
अरमानो को पूरा
कर जायेंगे
सपनो की
खुशियाँ
साकार कर जायेंगे ।

अनन्तराम चौबे "अनन्त "
जबलपुर (म प्र)
9770499027
सुबह से
शाम,
शाम से
रात तक
न जाने
कितनी बार
उनकी एक
झलक पाने
आँखें बिछी रहती है।
किसी दीवाने की तरह
आस लगाये
रहती हूँ ।
कभी तो
वो आयेंगे
अपनी
एक झलक
दिखायेंगे ।
खोये हुये
अरमानो को पूरा
कर जायेंगे
सपनो की
खुशियाँ
साकार कर जायेंगे ।

अनन्तराम चौबे "अनन्त "
जबलपुर (म प्र)
9770499027