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अशोक बाबू माहौर की कविता

ऊँचे खयालात में खोयी 

ऊँचे खयालात में खोयी
चिडिया
बैठी
ऊँचे पेड़ पर
भरने ऊँची उड़ान
ताकि देख सके दुनिया
जज्बा उसके,
उंगली दबाये
दाँतों तले। 

खुले आसमान में
घूम सके
छूले गगन चुंबी इमारत
तालियाँ बजाकर
बढ़ाये हौसला
चिडिया का
हम
क्योंकि उसके बुलंद इरादे?
अटल, निष्पक्ष।
                  अशोक बाबू माहौर
            ग्राम - कदमन का पुरा,तहसील - अंबाह, जिला - मुरैना (म. प्र.) 476111
            मो 8802706980


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