पाप से डरते हैं
फिर भी पाप करते हैं
लूटकर दुनिया को
घर का
कोना कोना भरते हैं,
जिस्म से खेलते हैं
पैसों के लालच में
जान तक ले लेते हैं
फिर भी पाप करते हैं
लूटकर दुनिया को
घर का
कोना कोना भरते हैं,
जिस्म से खेलते हैं
पैसों के लालच में
जान तक ले लेते हैं
साधु का रूप धारण कर
हाथ कमंडल थाम
भोले भाले बन
अंदर जलते हैं।
कहीं टोटके मंत्रों से
लोगों को आकर्षित करते हैं
ठगते दोपहर शाम
चुपड़ी चुपड़ी बातों से
ऐसे साधु संतों से
दूर रहना चाहिए
ये खुद का कल्याण करते हैं
दूसरों का नहीं।
परिचय
अशोक बाबू माहौर
साहित्य लेखन :हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में संलग्न।
प्रकाशित साहित्य :हिंदी साहित्य की विभिन्न पत्र पत्रिकाएं जैसे स्वर्गविभा, अनहदक्रति, साहित्यकुंज, हिंदीकुुुंज, साहित्यशिल्पी, पुरवाई, रचनाकार, पूर्वाभास, वेबदुनिया, अद्भुत इंडिया, वर्तमान अंकुर, जखीरा, काव्य रंगोली, साहित्य सुधा, करंट क्राइम, साहित्य धर्म आदि में रचनाऐं प्रकाशित।
सम्मान :
इ- पत्रिका अनहदक्रति की ओर से विशेष मान्यता सम्मान 2014-15
नवांकुर साहित्य सम्मान
काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान
मातृत्व ममता सम्मान आदि
इ- पत्रिका अनहदक्रति की ओर से विशेष मान्यता सम्मान 2014-15
नवांकुर साहित्य सम्मान
काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान
मातृत्व ममता सम्मान आदि
प्रकाशित पुस्तक :साझा पुस्तक
(1)नये पल्लव 3
(2)काव्यांकुर 6
(3)अनकहे एहसास
(4)नये पल्लव 6
(1)नये पल्लव 3
(2)काव्यांकुर 6
(3)अनकहे एहसास
(4)नये पल्लव 6
अभिरुचि :साहित्य लेखन।
संपर्क :ग्राम कदमन का पुरा, तहसील अम्बाह, जिला मुरैना (मप्र) 476111
मो 8802706980
