जीवन की उड़ान देखिये
पंख बिना उड़ जाता है
कवि ह्दय उस जीवन में हो
गागर में सागर भर देता है |
कवि ह्दय जीवन है अनोखा
कविता जब भी लिखता है
काश्मीर की वादियाँ देखता
सुन्दर सपनों में खो जाता है ।
बिना पंख के वादियाँ घूमता
शब्दों को शब्दों से जोड़ता
प्यार के सुन्दर सपने संजोता
दो प्रेमियों को वहाँ मिलाता ।
प्रेमी का जब सपना टूटता
अपने ही विस्तर में होता
बिना पंख के कैसे उड़ता ?
कवि कल्पना ऐसे लिखता ।
जीवन की उड़ान देखिये
बिना पंख भी उड़ जाता है
आसमान के तारों को भी
पल भर में तोड़कर लाता है ।
कवि जब कोई कविता लिखता
अपने आपको में उसमें ढालता
प्यार की कविता जब लिखता है
खुद ही उसका प्रेमी बन जाता है ।
कविता जब बन जाती है
दो प्रेमियों पर ढल जाती है
कोई कवि को ताने मारता
कौन है प्रेमिका पता पूछता ।
न कोई प्रेमी न प्रेमिका होते
शब्दों के जाल कवि के होते
जीवन की उड़ान यहीं होती
पंख बिना भी ऐसे हैं उड़ते ।
अनन्तराम चौबे "अनन्त"
जबलपुर (म प्र)
9770499027
