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नवजात शिशु (कविता)

दो दिन का नवजात शिशु
आखिर में क्यों रोता है  ।
          भूख लगी है स्नेह चाहता
           या फिर दुनिया से डरता है ।

इस दुनिया से था वेखबर
माँ के गर्भ में पल रहा था ।
         भूख लगे न प्यास लगे
         न दुनियादारी का डर था ।

नौ माह तक गर्भ में रहकर
डर भय न कुछ रहता था ।
        शिशु से ज्यादा माँ को ही
        शिशु का ही भय रहता था ।

अपने खाने का स्वाद छोड़कर
शिशु की चिन्ता में रहती थी ।
        संभल संभल नौ माह काटती
        बस बच्चे का ख्याल रखती थी ।

बच्चे की माँ बनने का सपना
शादी शुदा नारी को रहता है ।
        बच्चे के पैदा होते ही माँ बनने
        का हर सपना पूरा होता है ।

नवजात शिशु जब पैदा होता
आखिर किस कारण वो रोता है ।
        सोच समझ कुछ भी न रहती
        फिर भी शिशु,आखिर क्यो रोता है ।

                       अनन्तराम चौबे अनन्त
                       जबलपुर म प्र
                       9770499027