दो दिन का नवजात शिशु
आखिर में क्यों रोता है ।
भूख लगी है स्नेह चाहता
या फिर दुनिया से डरता है ।
इस दुनिया से था वेखबर
माँ के गर्भ में पल रहा था ।
भूख लगे न प्यास लगे
न दुनियादारी का डर था ।
नौ माह तक गर्भ में रहकर
डर भय न कुछ रहता था ।
शिशु से ज्यादा माँ को ही
शिशु का ही भय रहता था ।
अपने खाने का स्वाद छोड़कर
शिशु की चिन्ता में रहती थी ।
संभल संभल नौ माह काटती
बस बच्चे का ख्याल रखती थी ।
बच्चे की माँ बनने का सपना
शादी शुदा नारी को रहता है ।
बच्चे के पैदा होते ही माँ बनने
का हर सपना पूरा होता है ।
नवजात शिशु जब पैदा होता
आखिर किस कारण वो रोता है ।
सोच समझ कुछ भी न रहती
फिर भी शिशु,आखिर क्यो रोता है ।
अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
9770499027
आखिर में क्यों रोता है ।
भूख लगी है स्नेह चाहता
या फिर दुनिया से डरता है ।
इस दुनिया से था वेखबर
माँ के गर्भ में पल रहा था ।
भूख लगे न प्यास लगे
न दुनियादारी का डर था ।
नौ माह तक गर्भ में रहकर
डर भय न कुछ रहता था ।
शिशु से ज्यादा माँ को ही
शिशु का ही भय रहता था ।
अपने खाने का स्वाद छोड़कर
शिशु की चिन्ता में रहती थी ।
संभल संभल नौ माह काटती
बस बच्चे का ख्याल रखती थी ।
बच्चे की माँ बनने का सपना
शादी शुदा नारी को रहता है ।
बच्चे के पैदा होते ही माँ बनने
का हर सपना पूरा होता है ।
नवजात शिशु जब पैदा होता
आखिर किस कारण वो रोता है ।
सोच समझ कुछ भी न रहती
फिर भी शिशु,आखिर क्यो रोता है ।
अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
9770499027
