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अबला बेटी

बहसी  भेड़िए नोच रहे थे
एक अकेली अबला बेटी थी
वो एक अकेली बहन बेटी थी
भारत देश की वो भी बेटी थी ।

अत्याचारी दुराचारी थे
एक नहीं गिनती में चार थे ।
मानवता उनमें भी नहीं थी
क्या राक्षस कुल में जन्मे थे ।

हैदराबाद या शहर कोई हो
न्याय कानून का डर भय न था ।
बहसी थे क्या पागल कुत्ते थे
क्या शराब के नशे में अंधे थे ।

एक अकेली बेटी के साथ में
कैसा दुष्कर्म वो कर डाले ।
जरा भी मन में दया न आई
हबसी हबस में मुंह किये काले ।

नोच नोच दुष्कर्म किये वो
अबला बेटी पर दुराचार किए ।
कानून सजा क्या इनको देगा
क्या उस बेटी को जिन्दा कर देगा ।

बेटी से दुष्कर्म करने की रोज
पेपर में खबरें पढ़ने मिलती हैं ।
एक अकेली अबला बेटी हो
किस पर विश्वास कर सकती है।


  


 अनंतराम चौबे अनन्त
                            जबलपुर म प्र