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बस थोडे़ से

बस थोडे़ से
दिन और ही सही
घर रहेंगे
खाना बनाना
सीख जायेंगे
झाडू पौछा भी
आप यूँहीं बैठे
मेरे काम देखते रहना
उत्साह बढाते रहना
क्योंकि हम अब अजीब बन जायेंगे?
रेंगते कीड़े की तरह चलेंगे
सुबह दोपहर शाम!

                अशोक बाबू माहौर