Header Ads Widget

नवीनतम रचनाएँ

6/recent/ticker-posts

अनमोल गिफ्ट


     वह मेरे पसीने में भीगे कपड़ों को देखकर ऐसे नाक भों सिकोड़ रहा था जैसे कि मैं किसी दूसरे ग्रह का प्राणी हूँ, शायद उसे मेरे पसीने की दुर्गंध आ रही थी ।  किन्तु मैं क्या करता दिनभर धूप में जी तोड़ मेहनत करता रहा था  ,कभी इधर तो कभी उधर सामान लेकर जाना पड़ रहा था।  उस पर साहेब का गुस्सा ,जैसे तैसे मैं अपना काम निपटा कर ऑफिस से जल्दी घर निकलना चाहता था । सुबह ही पत्नी से वादा  जो किया था कि 20 वीं सालगिरह है, आज किसी रेस्टोरेंट चलेंगे डिनर करने ।

पर काम की वजह से आज भी भाग दौड़ रोज की तरह बनी रही । 7 बजे फ्री होते ही मेट्रो पकड़ी और घर को चल दिया था ।मेरे बगल में ही एक सूट बूट पहने व्यक्ति मुझे पसीने में देख अजीब-सी नजरों से घूरे जा रहा था ।मैं भी अपनी जगह-जगह से घिस चुकी कमीज को उसकी नजरों से बचाता संकोच वश  अपने को सिकोड़े गेट के शीशे के पास खड़ा  शर्मिंदगी महसूस कर रहा था ।

 कश्मेरी गेट मेट्रो स्टेशन से बाहर को निकला तो ताजी हवा में थोड़ा सुकून  मिला । देर होने के कारण मार्केट बंद हो गई थी और मैं पत्नी के लिए कोई गिफ्ट न ले सका ।अनमने मन से जल्दी में  ऑटो पकड़ घर की ओर चल दिया । घर पहुँचते पहुँचते रात्रि के 10 बज चुके थे और पत्नी दरवाजे  पर खड़ी बेसब्री से मेरी राह ताक रही थी ।

"सॉरी यार , मैं काम कि वजह से तुम्हारे लिए कोई गिफ्ट नहीं ला सका ।" मैं बहुत ही अजीब महसूस कर रहा था ।

उसने जैसे कुछ सुना ही नहीं था । वह मुजसे लिपट गई ।

"ये क्या जरूरी है कि हर बार तुम ही मुझे गिफ्ट दो ।" मुझे एक पैकेट पकड़ाते हुए मैरिज एनिवर्सरी की बधाई दी ।मैंने पैकेट खोलकर देखा तो दंग रह गया उसमें  एक पिंक शर्ट और ब्लैक पेंट थे।

"सही कहती हो ...तुम्हारी पसंद बहुत अच्छी है ।"

"सो तो है ...तुम्हें जो पसंद किया है ।" वह मुस्कुराते हुए बोली । पत्नी को मालों था कि पसीने की खुशबू क्या होती है ।

               
                                         संजय कुमार गिरि