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राम-राम ( डॉ गुलाब चंद पटेल )

रानी कैकयी को वचन याद आया,
दशरथ राजा को जरा भी न भाया,
कैकयी ने कर दिया सत्यानाश, 
माँगा राम को 14 वर्ष का वन वास 
आर्य सुमन ने अपना रथ जोड़ा 
राम लक्ष्मण सीता को वन में छोड़ा 
देवो ने भील रूप में झोपड़ी बनाया 
ऋषि ओ ने वास्तु पूजा यहा करवाया 
आर्य सुमन खाली रथ लेकर दौड़े 
ऋषि वसिष्ट को नमन से हाथ जोड़े 
राजा से कहा हमने आपकी आज्ञा तोड़ा 
बिना सीता राम ही वापस मैंने मुह मोड़ा 
राजा कहे राम के पास हमे ले जाइए 
ऋषि ने कहा पुत्र मोह आप न जताए 
हे प्रभु ऎसे दिन हमे क्यूँ दिखाए? 
महान पुत्र तक क्यूँ  न पहुच पाए? 
राजन,धीरज धरो, विवश होना नहीं, 
वीर पुरुष ऎसा शोक कभी करते नहीं 
रघुवंशी रीत सदा चली हे आई 
प्राण जाए पर वचन कभी न जाये 
सोए राजा ने आकाश में नजर दौड़ाई 
हमे हमारी मौत की परछाई दिखलाई 
श्रवण के मौत की कहानी याद आई 
कर्म की सजा से कौन बच सकते भाई 
श्रवण के पिता ने स्पर्श से शंका जतायी 
कौन हो तुम? श्रवण कहा है मेरे भाई? 
श्रवण कभी लौटकर यहा न आएगा 
उसकी इच्छा से मे तुम्हें जल पिलाएंगा 
अंधे मात पिता ने दे दिया उन्हें श्राप 
हम तरसे ऎसे तरसे गे राजन आप 
यह कहानी कौशल्या को राजा ने सुनाई 
राजा ने अपने मौत वजह रानी को बताई 
अंत में राजा ने किया रानी को इशारा 
अपने पुत्र को 'राम राम' कहके के पुकारा, 
हे राम, हे राम, हे राम, 



डॉ गुलाब चंद पटेल 
कवि लेखक अनुवादक 
नशा मुक्ति अभियान प्रणेता 
ब्रेसट कैंसर अवेर्नेस प्रोग्राम आयोजक 
इंडियन लायंस गांधी नगर 
Mo 09904480753