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अनन्तराम जी

अनन्तराम जी अनन्तराम जी।

कविता लिखना है काम जी।

अनन्तराम जी,अनन्तराम जी।।


सुबह को कविता ,रात को कविता

दिन में कविता,कविता शाम जी।

अनन्तराम जी,,अनन्तराम जी।।


रोज अखबार में छपे,

        रोज सम्मान पत्र मिले।

पिछले कई वर्ष से

         चल रहे सिलसिले।


हम आपका करते है एहतराम जी

अनन्तराम जी,अनन्तराम जी।।


हर विषय पर लिखे

          सरल सहजता दिखे।

साहित्य प्रेमी हो तुम

           काव्य रस चखे।।


जबलपुर है आपका धाम जी

अनन्त राम जी अनन्त राम जी

                           








                                    पवन बमूलिया