जीवन
ये अनमोल है
जो रिश्तों की ड़ोर है
जीवन वह कर्म है
जो जीवन का सार है |
विश्वास ही रिश्ता है
उसमें सारा जहाँ है,
विश्वास जहाँ टूटा
टूटी रिश्तों की ड़ोर है |
टूटे रिश्तों की ड़ोर में
दिल भी टूट जाता है
दूरियाँ बढ़ जाती हैं
दम घुटता है
प्यार का ,
फिर मन भी तड़पता है
और दिल भी धड़कता है |
फिर प्रेम क्षमा बिना
मिलन नहीं होता है
इसलिए बनाए रखो
रिश्तों के बंधन
खिलेंगे जरूर कुंदन |
बीरेंद्र सिंह माहौर
