विविध रंगों से रंगी काव्य गोष्ठी
सामयिक परिवेश तमिलनाडु अध्याय की मासिक गोष्ठी गूगल मीट के माध्यम से रविवार 12 दिसंबर 2:00 बजे से प्रारंभ हुई। काव्य गोष्ठी की मुख्य अतिथि आदरणीया ममता महरोत्रा जी, जो कि संस्था की संस्थापिका एवं प्रधान संपादक भी हैं, उन्हीं के मार्गदर्शन में यह गोष्ठी हुई। उन्होंने अपने उद्बोधन में खुशी जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे प्रांत में जहाँ की भाषा तमिल है, वहाँ पर भी सामयिक परिवेश का परचम लहरा रहा है। विशिष्ट अतिथि संस्था के संपादक आदरणीय संजीव कुमार मुकेश जी थे। गोष्ठी की अध्यक्षता संस्था के सह संपादक आदरणीय श्याम कुवंर भारती जी ने की । उन्होंने अपने उद्बोधन में संस्था की साहित्यिक गतिविधियाँ एवं नई योजनाओं के बारे में अवगत कराया। सरस्वती वंदना आदरणीया सीमा प्रताप जी ने और स्वागत भाषण, मंच संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन आदरणीया सरला 'सरल' जी ने किया। सौहार्दपूर्ण वातावरण में गोष्ठी संपन्न हुई।
गोष्ठी में भाग लेने वाले प्रतिभागी एवं उनकी रचना की कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार हैं-
डॉ. मिथिलेश सिंह ने "मकरूज हैं हम उन जवानों के, जो सरहदों पर अपना जीवन बिताते हैं", सुधीर श्रीवास्तव ने "जब समाज और राष्ट्र हम सबका है, तब हमारा भी कुछ कर्तव्य बनता है", संतोष श्रीवास्तव 'विद्यार्थी' ने "सजी किसकी डोली है काँधे कहार, सतत शाँत निंद्रा आवरण पुष्प हार", अंजनी कुमार 'सुधाकर' ने " श्याम सलोना उड़ आया प्रेम पर्वत शिखर श्रृंग से, कुसुम कली करें प्रेमाटन चंचल मन मधुप भृंग से", डॉ. सत्येंद्र शर्मा ने "भारत माँ का लाल था ऐसा किया कमाल, सेना का सरदार था सदा शत्रु का काल", उषा टिबड़ेवाल ने " आज तुम्हें आना है मेरे घर सो तेरे दिल को पता है बताना", विजय मोहन सिंह ने " तेरी दया से मिला है किनारा, तू ही तो है प्रभु सबका सहारा", श्याम कुंवर भारती ने "दिल की बात दिल पर ना रखिए जनाब, गर हो शिकायत कोई रफा कीजिए", सरला 'सरल' ने " मैं हूँ जनता की आवाज नौकरशाहों तक पहुँचाने को, भूल गए कर्तव्य जो अपना उनको याद दिलाने को", अन्नपूर्णा मालवीय 'सुभाषिनी' ने " मैं समर्पित करूँ तो करूँ और क्या, शब्द मिलते नहीं मुझको गढ़ने यहाँ", नम्रता श्रीवास्तव ने " यह मातृभूमि का गौरव हमसे छुपा नहीं है इतिहास जरा तुम समझो हम सबसे जुदा नहीं हैं", बाल कवि नविका गोयल ने "उठो जवान देश के वसुंधरा पुकारती, देश है पुकारता पुकारती माँ भारती", रमा बहेड़ ने " रहती सदा सजग चौकन्नी सेना, देश की आन बान और शान है सेना", शीतल शैलेंद्र 'देवयानी' ने "दीप ज्योति से पावन घर आँगन, जिस दिन हुआ प्रभु राम का अवध आगमन", नंदिनी लहेजा ने "जीवन को तेरे जो एक लक्ष्य है देता, कुछ कर दिखाने का साहस तुममें है लाता", अल्पना सिंह ने "दिल के द्वारे दस्तक किसने फिर से दी है, भावों का तूफान बहाने किस्मत दी है", रमा कुंवर ने "बेटी घर की शान है होती, बेटी घर की मान है होती", स्नेहलता गुरुंग ने "देश प्रेम में हमने अपना सर्वस्व लुटाया है ,डटे रहे सीमा पर कभी सर न झुकाया है", डाॅ. मंजू रुस्तगी ने "आँधी में वक्त की न यूँ बहते जाइए, फिसले न कहीं पांव संभलकर जमाइये", प्रो. शरद नारायण खरे ने " समय रखे है आत्मबल करता है संघर्ष, जिसमें है निर्भीकता बस वह पाता हर्ष", अशोक गोयल ने "अगर चाहते हो बने स्वर्ग धरती, तो सोये मनुज को जगाना पड़ेगा", सीमा प्रताप ने "उम्मीद का एक दिया तुम जलाए रखना, मुझे दोस्तों की दुश्मनी से तुम बचाए रखना", प्रतिभा जैन ने "नारी तेरी महिमा क्या बताऊँ, तू तो भगवान से बड़ी है" रचनाओं द्वारा समा बाँध दिया। कुल 25 प्रतिभागियों ने काव्य पाठ में भाग लिया।
( जानकारी सुधीर श्रीवास्तव द्वारा प्रेषित)