(जाने माने कवि सुमित्रानंदन पंत, हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' और रामकुमार वर्मा जैसे कवियों का युग कहा जाता है। आज प्रस्तुत उनकी लिखी हुई एक कविता। )
स्त्री
यदि स्वर्ग कहीं है पृथ्वी पर,
तो वह नारी उर के भीतर,
दल पर दल खोल हृदय के अस्तर
जब बिठलाती प्रसन्न होकर
वह अमर प्रणय के शतदल पर!
मादकता जग में कहीं अगर,
वह नारी अधरों में सुखकर,
क्षण में प्राणों की पीड़ा हर,
नव जीवन का दे सकती वर
वह अधरों पर धर मदिराधर।
यदि कहीं नरक है इस भू पर,
तो वह भी नारी के अन्दर,
वासनावर्त में डाल प्रखर
वह अंध गर्त में चिर दुस्तर
नर को ढकेल सकती सत्वर!
सुमित्रानंदन पंत
