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मुक्तक

 मुक्तक 



वो घर छोड़कर जाने लगे थे

हाथ छुड़ाकर भागने लगे थे

जाने क्या थी उनको जाने की

खुद को मुझसे हटाने लगे थे।


                      अशोक बाबू माहौर