व्याकुल जीव - जंतु
बारिश थमी
हटे बादल
सूरज चढ़ आया छाती पर,
उमस हुई
पसीने से लथपथ लोग
उदास बैठे
घबराये से
जैसे तप रहे अग्नि में ।
हवा भी
थकी हारी सी
मानो सो गयी कहीं
आराम से,
व्याकुल जीव - जंतु
ताक रहे राह किसी शीतलता की
ताकि सुकून मिल सके
भीषण गर्मी से
आज ही ।
- अशोक बाबू माहौर
