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मुक्तक - अशोक बाबू माहौर



मुक्तक 




उन्हें गुफ्तगू करने की आदत हो गयी है

नज़र से नज़र मिलाने की आदत हो गयी है

यूँ तो डूबे थे चाय की चुस्कियों में हम भी

मगर हलचल नयी नयी सी दिल में हो गयी है।


                                       - अशोक बाबू माहौर