वाराणसी, काशी काव्य गंगा साहित्यिक मंच पंजीकृत, वाराणसी की साप्ताहिक 153 वीं गोष्ठी शनिवार को ईद मिलन समारोह के रूप में मेरे कार्यालय श्रीवास्तव म्युचुअल फंड सनबीम लहरतारा, यादव कटरा चन्दुआ छित्तुपुरा में हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाई गई।
इस गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि शमीम गाजीपुर, मुख्य अतिथि मजीद बनारसी, संचालन श्री मुनींद्र पाण्डेय मुन्ना ने किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था के अध्यक्ष भुलक्कड़ बनारसी ने सभी उपस्थित कवियों व शायरों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया, तदोपरान्त सरस्वती वंदना संस्था सुबोध सिन्हा ने कर कार्यक्रम की शुरुआत किया।
आज की गोष्ठी में उपस्थित कवियों और शायरों में हास्य व्यंग्य कवि भुलक्कड़ बनारसी, मुनींद्र पाण्डेय मुन्ना, सुबोध सिन्हा, गजलकार गोपाल केशरी,वहिद इकबाल लोहतवी, वासिफ बनारसी, मोहकम बनारसी,शमीम गाजीपुरी, मजीद बनारसी,डा. विजय चंन्द्र त्रिपाठी, खलील राही, आशिक बनारसी, राजमनारायण पाण्डेय, सत्यनारायण जी, व किशन यादव इत्यादि रहे।
ईद की मुबारक वाद देते हुए वहीद इकबाल बनारसी ने पढ़ा " सारी दुनिया को ये बताएंगे, गीत मिल्लत के आज गाएंगे। ईद हो या हो दोस्तों होली, आओ मिल जुल कर हम मनाएंगे। " जनाब मोहकम बनारसी ने पढ़ा " युं मोकम्मल हयात की जाए, फिर से मिलने की बात की जाए। ईद पैगामे ईश्क देती है, जश्न मिल्लत की रात की जाए। शमीम गाजीपुरी ने पढ़ा " साल भर चाहे जैसे रहा कीजिए, ईद के दिन तो खुलकर मिला कीजिए। जनाब मजीद ने पढ़ा " अपना दामन न बचाओ कि ईद आई है, गले जी भर के लगाओ की ईद आई है। जनाब आशिक बनारसी ने पढ़ा " बे- करारो का जो तू बन के करार आई है, ईद ये तेरी अदा दिल को बहुत भाई है। दूर क्यों बैठे हो आकर गले लग जाओ मेरे, ईद बिछड़ो को मिलाने के लिए आई है। उसके उपरांत ईद की सेवई संस्था के कोषाध्यक्ष वहिद इकबाल की तरफ से सबको खिलाया गया।
अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए संस्था के अध्यक्ष भुलक्कड़ बनारसी ने कहाँ कि रविवार को रामनवमी पर भी गोष्ठी यहीं पर उसी समय पर आयोजित होगी। सूचना देते हुए गोष्ठी को विश्राम दिया गया।
भुलक्कड़ बनारसी अध्यक्ष,
काशी काव्य गंगा साहित्यिक मंच, (पंजीकृत) वाराणसी,