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धनतेरस का महत्व

 

धनतेरस का महत्व




भारत त्योहारों की भूमि है, जहाँ हर पर्व अपने भीतर आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संदेश समेटे हुए है। इन्हीं त्योहारों में से एक है धनतेरस, जो दीपावली से पहले मनाया जाने वाला एक अत्यंत शुभ और पवित्र पर्व है। यह दिन न केवल धन-संपत्ति से जुड़ा होता है बल्कि आरोग्य, समृद्धि और शुभारंभ का प्रतीक भी है। धनतेरस का शाब्दिक अर्थ है—‘धन’ यानी संपत्ति और ‘तेरस’ यानी कार्तिक कृष्ण पक्ष की तेरहवीं तिथि। इस दिन से ही दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत होती है।

धनतेरस का धार्मिक महत्व- धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन समुद्र मंथन से धन्वंतरि भगवान प्रकट हुए थे, जो आयुर्वेद के जनक और देवताओं के वैद्य माने जाते हैं। उनके हाथ में अमृत कलश और आयुर्वेद ग्रंथ था। इसीलिए इस दिन को स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए भी विशेष माना जाता है। लोग भगवान धन्वंतरि की पूजा कर अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

इसके साथ ही एक प्रसिद्ध कथा राजा हेम का पुत्र से भी जुड़ी है। ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि राजा के पुत्र की मृत्यु सर्पदंश से विवाह के चौथे दिन होगी। पुत्र की पत्नी ने अपनी बुद्धिमत्ता से धनतेरस की रात घर के चारों ओर दीप जलाकर, सोने-चांदी के आभूषण और धन का ढेर लगाकर नाग देवता का ध्यान भटका दिया। नाग देवता अंधेरे में प्रवेश नहीं कर पाए और युवक का जीवन बच गया। तभी से यह तिथि ‘यम दीपदान’ के रूप में भी मनाई जाती है, ताकि अकाल मृत्यु का भय टल सके।

धनतेरस का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व-
धनतेरस केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार लोगों में उत्साह, उल्लास और नवजीवन का संचार करता है। लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, उन्हें सजाते हैं और नए वस्त्र धारण करते हैं। इस दिन नया बर्तन, सोना-चांदी, वाहन या कोई मूल्यवान वस्तु खरीदना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तु घर में लक्ष्मी का आगमन कराती है और पूरे वर्ष समृद्धि प्रदान करती है।

व्यापारिक दृष्टि से भी यह दिन अत्यंत खास होता है। दुकानदार अपने प्रतिष्ठानों की पूजा करते हैं और वर्षभर के अच्छे व्यापार की कामना करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान इस दिन अपने औजारों और बैलों की पूजा करते हैं, क्योंकि वे ही उनकी आजीविका का आधार होते हैं।

स्वास्थ्य और आयुर्वेद से जुड़ाव- धनतेरस का एक विशेष पक्ष स्वास्थ्य से जुड़ा है। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के प्रवर्तक हैं, इसलिए इस दिन आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का महत्व और भी बढ़ जाता है। आज के समय में जब लोग आधुनिक जीवनशैली के कारण कई बीमारियों से ग्रसित हैं, धनतेरस हमें यह संदेश देता है कि “धन से बढ़कर तन का स्वास्थ्य है।”

आध्यात्मिक संदेश- धनतेरस केवल भौतिक समृद्धि का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और प्रकाश का भी प्रतीक है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि असली धन वह नहीं जो तिजोरियों में बंद हो, बल्कि वह है जो हम दूसरों के साथ बाँटें — प्रेम, करुणा और सद्भावना के रूप में। जब घर में दीप जलते हैं, तो वे केवल अंधकार दूर नहीं करते, बल्कि हमारे मन के भ्रम और नकारात्मकता को भी मिटाते हैं।

धनतेरस का त्योहार धन, आरोग्य और मंगलता का संगम है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में धन का महत्व है, परंतु उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है अच्छा स्वास्थ्य, सकारात्मक सोच और स्नेहपूर्ण संबंध। जब हम अपने मन, घर और समाज को स्वच्छ और प्रकाशमय बनाते हैं, तभी धनतेरस का वास्तविक अर्थ साकार होता है।