हे! कोरोना
तू कितना कटु है
नहीं देखता घर परिवार
बूढ़े माँ बाप
बाल बच्चे जवान
अमीर गरीब
सबको बनाने लगता है
अपना शिकार!
आओ हम सब मिलकर
इसको हराते हैं
करते हैं अंत
और कुछ ऐसे प्रहार
जो न दिखे
न समझ पाये कोरोना,
हो जाते हैं
बंद घर में
कुछ समय के लिए
दो चार दिन
या दो चार महीने
ताकि विजय पा सकें
बचा सकें खुद को
देश को!
अशोक बाबू माहौर
तू कितना कटु है
नहीं देखता घर परिवार
बूढ़े माँ बाप
बाल बच्चे जवान
अमीर गरीब
सबको बनाने लगता है
अपना शिकार!
आओ हम सब मिलकर
इसको हराते हैं
करते हैं अंत
और कुछ ऐसे प्रहार
जो न दिखे
न समझ पाये कोरोना,
हो जाते हैं
बंद घर में
कुछ समय के लिए
दो चार दिन
या दो चार महीने
ताकि विजय पा सकें
बचा सकें खुद को
देश को!
अशोक बाबू माहौर
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