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मुझे मेरे अहंकार ने मारा



 मुझे मेरे अहंकार ने मारा


जिसके भी मन में यह भ्रम है

कि मुझे श्रीराम ने मारा

तो यह भ्रम निकाल दीजिये।


राम भला मुझे क्यों मारते

जब उन्हें सब पता था

वो तो अंतर्यामी थे

सब जानते थे।


ये सब बेकार की बातें हैं

वे मुझे मारना ही नहीं चाहते थे,

क्योंकि मेरे पांडित्य का वे भी

सम्मान करते थे


सच तो यह है कि 

मुझे मेरे अहंकार ने मारा

मुझे मारकर उन्हें भला क्या मिलता?

मुझे ढाल बनाया, फिर मारा

बदले में मुझे जीवन से तारा।


आप सब अब तक गुमराह हो

मेरा पुतला जलाते हो

मगर एक बार भी नहीं सोचते

कि रावण कभी मर नहीं सकता

जिस पर बरसी हो कृपा राम की

उसका नाम भला कैसे मिट सकता ?


जलाना है तो अहंकार का पुतला जाओ

उससे पहले अपने मन से 

अहंकार को मिटाओ,

अहंकार रुपी रावण को भगाओ

राम पर रावण वध का दोष मत लगाओ।


राम ने रावण को तारा है

रावण के अहंकार को मारा है।

तुम सब बड़े मुगालते में हो

राम की आड़ लेकर हर साल

रावण को मारने चले हो,

बेवकूफ बन राम को 

बदनाम कर रहे हो,

बेवजह हत्या का दोष

मेरे प्रभु पर मढ़ रहे हो।


मेरे राम बहुत प्यारे हैं

मेरे रावणत्व और अहंकार को मार

पंडित रावण को तारे हैं।

मगर तुम सब रावण के रावण्त्व को नहीं

उसके पांडित्य को मारना चाहते हो

क्योंकि उसके रावणत्व से डर रहे हो।


मारना ही है तो उसके रावणत्व 

उसके अहंकार को मारो।

अहंकारी रावण न बनो

हो सके तो रावण का पांडित्य अपनाओ

फिर देखो राम जी प्रसन्न हो

धरा पर जरूर आयेंगे,

बढ़ रहे रावणत्व और अहंकार का

धरा से नामोनिशान मिटाएंगे

फिर से रामराज्य लायेंगे।

 

                        सुधीर श्रीवास्तव

                    गोण्डा, उ.प्र.

                         8115285921