भाव भरे थे अपनेपन के
उनमे अनुभव थे जीवन के !!
कहती थी दादी कुछ किस्से
राजा रानी बीहड़ वन के !!
हाथी घौड़ा शेर सियार
थे पंछी उसमे उपवन के !!
पानी बादल आँधी सूखा
मौसम थे सब साल भरन के !!
बढ़े प्यार से पास बैठाती
फेरती जाती माला मनके !!
धर्म कर्म इतिहास सुनाती
प्रेम सहित वो भक्त जनन के !!
भेद सभी के वो समझाती
सरिता सागर और पवन के !!
सुंदर सुंदर सपन दिखाती
चॉद सितारे नील गगन के !!
"कवि" सुदामा दुबे
