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कौन सा वक्त आ गया है

हे! ईश्वर कौन सा समय आ गया है | विपत्तियों का पहाड़  खड़ा हो गया है| हर तरफ भागमभाग चीखें चिल्लाहटें अपने पाँव पसार रहीं हैं |हाहाकार मची हुयी है| कोरोना वायरस की वजह से|जो पलक झपकते ही हावी हो जाता है और अपनी गिरप्तार में जकड़ लेता है|बड़ी तेजी से शरीर का विनाश करने में लग जाता है | 

    सरकारें भरपूर प्रयास कर रहीं है|संघर्ष में जुटी हैं|ताकि इंसानों को कोरोना महामारी से बचाया जा सके और सुकून भरी जिंदगी दे सकें| कुछ लोग संकट की इस घड़ी में दवाईयों की कालाबाजारी करके जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं | अपना बिजनेस समझ रहे हैं  | जरुरतमंदों से अनापशनाप पैसा ऐंठने में लगे हैं |ये सही नहीं है| किसी के लिए भला नहीं कर सकते तो फिर बुरा क्यों?

      अस्पतालों का अगर रुख़ करें तो भयानक स्थिति  पैदा हो रही  है|मरीजों के लिए बेड दवाई और ना जाने क्या क्या की किल्लत बनी हुई है|कोई ऑटो, वाहनों में अपना इलाज कराने के लिए मजबूर है|रुपये पैसे भी अनाप सनाप देने के लिए तैयार है|लेकिन वक्त खराब है कुछ नहीं हो पा रहा|स्थिति गंभीर है|भयवाह माहौल है|कोई किसी को नजर नहीं आता |
    पता नहीं किसने इस महामारी की उत्पत्ति की और इंसानों के लिए घातक बना दिया|क्या उद्देश्य है उसका?क्या करना चाहता है? क्या नहीं?
    हे! परमपिता परमात्मा अब सहायता करो|इस महारुपी बीमारी का विनाश कर मानवों को बचा लो|अब तुम्हारा ही सहारा है |

                                     

                                    अशोक बाबू माहौर