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जिंदगी चलती रहे

 जिंदगी चलती रहे


समय के साथ ही

जिंदगी भी चलती रहे,

यही बेहतर है,

क्योंकि ठहरे हुए जल में भी

सडांध उठने लगती है

वर्ष से बंद पड़ी इमारतों में भी

अवांछनीय घासपूस

पेड़ पौधे उग ही आते हैं,

आवारा पशु पक्षियों,कीड़े, मकोड़ों

जहरीले जीव जंतुओं के

पनाहगाह बन जाते हैं।

इमारत की खूबसूरती हो

या फिर भव्यता,

बीते दिनों का इतिहास बन जाते हैं।

    

                      सुधीर श्रीवास्तव

                      गोण्डा, उ.प्र.

                      8115285921