चन्दन
माना मैं भी इक काठ का टुकड़ा हूँ
पर मेरी अलग पहचान है
मैं निर्मल हूँ
मैं हूँ शीतल
मेरी महक ही मेरी शान है
तेरी सुंदरता को बढाता मैं
बन लेप जो काया पर मैं लगूंँ
शुभता का प्रतीक सब माने मुझे
जब हवन कुंड में लकड़ी हो जलूंँ
कहते सब मुझको है चन्दन
नित ईश का करता मैं वंदन
जिनकी कृपा से ही तो मैं
लकड़ी होकर भी हूँ पावन
ऐ मानव तू भी मुझ भांति
जीवन को बना दे वंदन सा
सद्कर्मों से महका व्यक्तित्व अपना
निष्पाप सा हो
तू मुझ चन्दन सा|
नंदिनी लहेजा
रायपुर ,छत्तीसगढ़
