औरों में सिर्फ अच्छाई देखें
प्रकृति की हर रचना विशेष हैं, जो हमें उपयोगी ना लगे उसमें भी कुछ ना कुछ विशेषता होती है, कमी हम में होती है, जो हम उसकी विशेषता को पहचान नहीं पाते |इसलिए हमें सदा यह कोशिश करनी चाहिए की हम सामने वाले की कमियां ना देखकर उसकी विशेषता को देखें |ऐसा करने से हमारे सम्बन्ध अच्छे रहते हैं
अगर हम सदा सबकी अच्छाई को देखें उनकी अच्छाई को अपनाएं, तो हम भी गुणवान बन जाते हैं |क्यूंकि जैसा हम चिंतन करते हैं, वैसा ही हम बन जाते हैं |सबकी अच्छाई को देखकर उनके गुणों के चिंतन से हम स्वयं की उन्नति करते हैं|
मानव तभी श्रेष्ठ बनता है जब वो श्रेष्ठ चिंतन करता है |
केवल इतना ही नहीं ये बात भी अक्षरसः सत्य है की जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि |
हमारी दृष्टि जिस दृष्टिकोण से संसार को देखती है ये संसार वैसा ही दिखाई देने लगता है, ना केवल दिखाई देता है बल्कि बन जाता है|
संसार में अच्छे रिश्ते और खुशहाल जीवन जीने के लिए अपनी सोच को सकारात्मक और सबकी अच्छाई देखने वाली दृष्टिकोण की बहुत आवश्यकता है |
सकारात्मक दृष्टिकोण वाली आत्मा सदा सफलता को प्राप्त करती है, और महान बनती है |
किसी ने सच ही कहा है की अपनी आँखों में विशेषता देखने वाली चश्मा लगाओ तो सारा जग सुन्दर दिखाई देगा |
अगर स्वयं को विशेष बनाना है तो सबकी विशेषता देखना प्रारम्भ कर दें, आपको पता भी नहीं चलेगा आप कब एक विशेष आत्मा बन गए |जीवन में जो भी प्राप्त हो उसके लिए उस परमात्मा पिता का धन्यवाद अवश्य करें |अच्छा देखें, अच्छा सोचें, सब अपनेआप अच्छा हो जायेगा |

