जिम्मेदारी
जिम्मेदार,
तुम कब जागोगे
जनता जगाने आई है
जिम्मेदारी से
कब तलक भागोगे
जिम्मेदारी समझाने आई है|
सत्ता के
सिंहासन पर बैठा
क्यों मौन
तमाशा देख रहा?
अराजकता की फसल पक रही
क्यों धृतराष्ट्र बन?
चुप देख रहा|
मारकाट से हो गई
रक्त रंजित
गाँव शहर की
मासुम गलियाँ
दानव का खौफ से
सहम गया,
छुपकर रो रही
चमन की कलियाँ|
कब तक यूँ ही
मौन रहोगे?
सिंहासन पे बैठे
ऑखें तो खोलो
दायित्व समझ
कानून से बोल कर
फर्ज का दरवाजा तो खोलो|
कानून डरकर
रो रहा है
मंजर गली का
देख रहा है
अनजान होने का
नाटक छोड़
अपनी चुप्पी अब तो तोड़|
किस बात की
सजा तू देता है
रोती जनता की
क्यूंँ नहीं सुनता है?
किससे करे
अब जनता फरियाद
तू ही बता किसका का राज|
उदय किशोर साह
मो० पौ० जयपुर जिला बाँका बिहार
