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मित्रता

सुप्रसिद्ध कवयित्री नंदनी लहेजा की कलम से निकली हुई एक कविता... 

मित्रता

जन्म लेकर मानव
इस सृष्टि में
अनेकों रिश्ते पाता है
कई जन्म,
कोई रक्त
तो कोई धर्म के
रिश्तों से जुड़ जाता है

इन सब रिश्तों के अलावा
हर इक के जीवन में
इक प्यारा सा रिश्ता होता है
हर मोड़ पर
जीवन के जो
तेरे काम सदैव आता
यही मित्रता का रिश्ता कहलाता है

दोस्ती का पावन रिश्ता जो,
धर्म,जाती, ऊंच,नीच
अमीर,गरीब की
परवाह नहीं करता
बस प्रेम और विश्वास की
डोर से बंधा होता है

जिस इंसान के मित्र होते है
वह न कभी अकेले होते
मुश्किल की घड़ी
गर कोई आ जाये,
एकदूजे के लिए सदा होते
लड़ते झगड़ते
फिर,
फिर मिल जाते,

मन में होता प्रेम बड़ा
मित्रता का तो
साक्षात् उदहारण प्रभु
हमें दिखते
कृष्णा और सुदामा का
पर यह न कभी भूलना मित्र मेरे
जो तुझे गलत राह ले जाये
वह तेरा सच्चा मित्र नहीं
इक दूजे को
न कभी नीचा दिखाए है
सच्चे मित्र तो बस वही l


                         नंदिनी लहेजा
                               रायपुर(छत्तीसगढ़)