कवयित्री नंदनी लहेजा की कलम से निकली हुई एक रचना......
अजन्मी बिटिया का माँ से संवाद
गर्भ की बिटिया-मैया ओ मैया क्या सुन रही हो मेरी पुकार
मैं फिर आ गई गर्भ में बन बिटिया और
माँ चाहूँ अपने अस्तित्व की सुरक्षा
और माँ सबका प्यार दुलार
बिटिया की माँ - हां नन्ही जान मेरी,मेरी प्यारी बिटिया रानी ,
मैं भी चाहूँ तुझे देखना,तुम्हे गोद में उठाना
नहीं चाहती दुहराई जाए फिर वही कहानी
गर्भ की बिटिया-माँ मैं तुझमें हूँ समाई,तेरे डर को महसूस करती
पापा दादी की आवाजें मैं भी भीतर हूँ सुनती
उनका भी तो अंश मैं हूँ ,हुई बिटिया तो फिर क्या
देखना चाहती हूँ मैं आप सब को,और बाहर की दुनिया
बिटिया की माँ- माना बेटी मैं डरी हुई हूँ,तेरे जीवन की सुरक्षा को लेकर
पर अब नहीं होने दूंगी तुझे इक पल भी अपने से दूर
तू सुरक्षित है गर्भ में मेरे,तेरा रखूंगी सदा ख्याल
पर ना घबराना तुम बिटिया, तुम लोगी जन्म जरूर
गर्भ की बिटिया-माँ क्या तुमने सबको मनाया ,की वे करें मेरे आने का स्वागत
करती हूँ माँ मैं भी तुझसे वादा,ना होने दूंगी
कभी किसी की आहत
रखूंगी ख्याल दादू दादी का,ना सर पापा का झुकने दूंगी
इक दिन पढ़ लिख कर माँ,नाम रोशन सबका करुँगी
बिटिया की माँ-जानती हूँ प्यारी बिटिया ,तुझसे ही तो मिलेंगी इस घर को खुशियां
जो हुआ पाप कन्या भ्रूण हत्या का इस घर में,
करेंगे सब प्राश्चित
लोगी जन्म तुम जरूर और देखोगी यह दुनिया
तुम बनोगी पहचान इस घर की ,और सदा मेरी हिम्मत
धन्यवाद् बिटिया तेरे आवाज़ ने मुझे बोलना सिखाया
और तेरा अस्तित्व बन गया मेरी ताकत.
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
