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जन्माष्टमी विशेष -धरा पर आ जाओ -सुधीर श्रीवास्तव

 धरा पर आ जाओ



हे कृष्ण, नटखट कन्हैया

अब बहुत हो चुका

माखन चुराना, गैय्या चराना,

बाल सुलभ चंचलता दिखाना

गोपियों संग अठखेलियाँ करना।


अब एक बार फिर से

अपना रुप दिखाओ,

फिर से अपने स्वरूप में

धरती पर आ जाओ।


लुका छिपी का खेल अब बंद करो

अब आओ! धरती के मानव रुपी

रावणों, राक्षसों का विनाश करो।


अब इनके अत्याचारों से

चहुंओर त्राहिमाम मचा है,

मुक्ति के लिए प्रभु जी

अब केवल तुम्हारा ही सहारा है।


इस जन्मोत्सव पर प्रभु

बस इतनी कृपा कर दो

अनीति, अन्याय, अनाचार,

अत्याचार, भ्रष्टाचार पर फिर

एक बार सुदर्शन चक्र का

भीषणतम प्रहार कर दो,

अपने भक्तों का बेड़ा पार कर दो।


जैसे गीताज्ञान दिया था 

पार्थ को कुरुक्षेत्र मे,

आज समूची धरा ही जब

बन गई कुरुक्षेत्र है तब

प्रभु अब तो तुम्हें आना ही होगा,

धरा को मानवी राक्षसों,रावणों से

मुक्ति का मार्ग दिखाना ही होगा।


हे मुरलीधर, हे कृष्णमुरारी चक्रधारी

अब देर न करो, इतनी सी कृपा करो

पीड़ितों, दुखियों को न नजरअंदाज करो

एक बार फिर से धरा पर आ जाओ

जन जन का उद्धार करो,

हर जन मन में नया उत्साह भरो

सबका बेड़ा पार करो,

हे विष्णु अवतारी धरा पर आ जाओ।


                                       सुधीर श्रीवास्तव

                                     गोण्डा, उ.प्र.

                                       8115285921