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बेटी की ताकत

कवि सुधीर श्रीवास्तव की कलम से निकली हुई एक कविता... 


 बेटी की ताकत


बिटिया मैंनें जन्मा है तुझे

तेरा जीवन भी संवारुँगी,

पढ़ा लिखाकर काबिल बनाऊँगी

तुझे तेरी पहचान दिलाऊँगी,

तूझे अपने पैरों पर

खड़ा कर दिखाऊँगी।

दुनियां से लड़ने लायक भी

मैं ही तूझे बनाऊँगी,

बेटी है तो क्या हुआ?

मैं भी तो पहले बेटी

अब माँ भी तो हूँ 

माँ बनकर दिखाऊँगी,

माँ कहलाने का हक 

तुझसे ही तो पाया है,

तेरी पहचान दुनियां को

मैं ही कराऊँगी।

बेटी है तू बेटी ही रहना

गर्व से जीने का जज्बा

मैं तुझमें जगाऊँगी,

बेटी तू मेरे जिगर का टुकड़ा है

ये मैं सबको बताऊँगी

सारे जहां को बेटी की 

ताकत का अहसास भी

मैं तुझसे ही कराऊँगी।


                           सुधीर श्रीवास्तव

                           गोण्डा, उ.प्र.

                            8115285921