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गौ माता



 गौ माता


भारत की इस पूण्य धरा पर,

सदा रहा सम्मान सभी का।

चाहे नदियाँ हों या ताल ,तलैया,

पशु, पक्षी हों या वृक्षों का।


हमने सबको दिया है मान,

औ स्वीकारा अस्तित्व सभी का।

कण कण में देखा प्रभु को हमने,

और  माना अहसान सभी का।।


ऐसे ही हमने माता कह कर,

सदा पुकारा है गौ माता को।

देवों से करने गई इतनी प्रार्थना

देखा हमने रखते रूप धरा को।।


गौ वंश के उपकारों की हम,

क्या क्या आज बात करें।

दूध,दही ,घी मक्खन से ये,

हम सबके उर के भंडार भरें।।


यूँ ही न कोई होता पूज्य,

देनी होती है कुर्बानी।

आज भी हमारी गौ माता का 

नहीं है धरती पर कोई सानी।।


पर आज सम्प्रदायिक दंगो में

काटी जाती हैं गौएं हमारी।

हम बैठें हैं बन मूक पाषाण,

कैसी अपनी हुई लाचारी।।


गायें अपनी यह भेद न करती,

कौन है हिन्दू, कौन मुसलमान।

फिर क्यों न समझे यह मानव

क्यों बना हुआ है आज हैवान।।


आओ आज हम हों संकल्पित,

अब हमें बचानी अपनी गौ माता।

ये हैं अपनी जीवन दायिनी,

हरेक शिशु की ,ये हैं मात पिता।।


                            ममता श्रवण अग्रवाल

                                 सतना     8319087003