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पूस की ठंड

पूस की ठंड 



जब भी आती है पूस की ठंड

सब कुछ अस्त व्यस्त कर जाती

जीवन उलझा जाती ।


इंसान हो या पशु पक्षी

सब बेहाल हो जाते

ठंड से बचने बचाने के

हरदम उपाय करते,

बस! जैसे तैसे जीवन जीते

जल्द बीते ये पूस की ठंड

सब यही प्रार्थना करते।


निराश्रित, असहाय, गरीबों, 

निर्बल वर्ग और मजदूरों के लिए

किसी खाई से कम नहीं लगते

जान बचाने तक के लाले पड़ जाते,

पूस की ठंड अपना रंग दिखा ही जाते

अपनी यादें छोड़ ही जाते।


                             सुधीर श्रीवास्तव

                        गोण्डा, उ.प्र.

                            8115285921