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एक पाती मां के नाम

 एक पाती मां के नाम


श्रद्धेय मां

    सादर चरण स्पर्श

मां आपको दूर दूर तक नजर ढूंढती रहती है,पर आप हैं नजर ही नहीं आतीं हैं,और मैं फिर एक नई पाती लिखने बैठ जाती हूं,आपके नाम।



कैसी हो मां,आप सकुशल हैं न? हमें हर पल आपकी फिक्र लगी रहती है।

आज आपको हम सब से दूर हुए 23 साल 7 महीने 9 दिन हो गए हैं मां,पर कोई दिन ऐसा नहीं बीता जिस दिन आपके लिए मेरा हृदय नही रोया हो,इन आंखों से आंसू न गिरे हों।

सुख में दुःख में आपको याद करती हिम्मत पाती हूं मैं,पर आप कहीं नजर नहीं आती हो.मां।

आपको पता है मां आपके नवासे अंशु, राखी आपके बारे में पूछते हैं,मैने आपके फोटो पर माला नहीं चढ़ाई हूँ मां, क्योंकि मेरा विश्वास है कि आप जरुर आएंगी, हौले से मेरा माथा सहलाएंगी और अपने आंचल की छांव में छुपा लेंगी, ताकि मैं सारे दर्द भूल जाऊ।

मां आपके बिना पापा बहुत अकेले पड़ गए हैं, कभी कुछ कहते तो नहीं, पर हम सब उनके दर्द को समझते हैं, उनके भीतर के खालीपन और जबरन मुस्कराहट को महसूस कर छुपकर रो लेते हैं।आज ही पापा से बात हुई, बहुत थके और बीमार से लग रहे हैं।

आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है मां कि एक बार हम सबके लिए न सही हमारे. बच्चों के लिए चली आइए मां। अब सब्र का बाँध टूट रहा है।

आज हम सब आपकी दी हुई सीख और हिम्मत से अपनी अपनी जगह पर पांचों भाई बहन व्यवस्थित है , फिर भी हम सबको विशेषकर आपकी छोटी बेटी सोनी को आपकी बहुत जरूरत है मां।

एक बार लौट आओ न मां, इन आंखों में दीप जगमगाओ न मां।

आपके पीछे मैने बहुत कष्ट झेला है मां,अब नही सहा जाता। मां आपको पता है, मैं आजमगढ़ गई थी वहां सड़क के उस पार बिल्कुल हूबहू आप जैसी एक महिला को मैने देखा, मैं उसकी ओर  दौड़ पड़ी ,चिल्लाती रही , पर वो न मुड़ी न देखी न बोली। मैं दौड़ती रही, फिर थकहार कर मायूस होकर लौट आई।

इसलिए बार बार आग्रह करती हूँ माँ, अब आप लौट भी आइए न।अपने बच्चों को अब और न रुलाइये मां......।

              बस अब आपके पत्र नहीं आपकी प्रतीक्षा में 

                        आपकी लाडली बेटी

                              सोनी


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ममताप्रीति श्रीवास्तव

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश