प्यार हमनें.....
प्यार हमनें भी किया था,
राह ऐ इश्क़ हम भी चले थे।
कांटे हमनें भी क़बूल किये थे,
तुम क्यों पीछे हटे थे।
दिल से परवाह की थी,
अपनी लकीर न देखी थी।
प्यार हमनें भी किया था,
घर से तुम भी भागे थे।
अपमान मेरा क्यों हुया?
सजा तुम्हें भी मिलनी थी।
अपराध जवानी में किया,
इल्ज़ाम पुरखों पर लगा।
केस हमनें भी लड़ा था,
मामला बुढ़ापा तक चला।
प्यार हमनें भी किया था,
राह ऐ इश्क़ हम भी चले थे।
प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्यप्रदेश