डा. अर्चना श्रीवास्तव सनातन धर्म परिषद की राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत
सनातन धर्म रक्षित करना हिंदुत्व में आस्था रखने वाले हर भारतीय का कर्तव्य है। भारत भूखण्ड में ही नहीं विश्व के हिंदू बँधु बाँधव भी इसे समझें तो हितकारी वैचारिक श्रेष्ठतम् उद्यम होगा। एथदर्थ वैश्विक स्तर पर सनातन धर्म परिषद समितियों का गठन हुआ है।
कर्नाटक प्रदेश से उभरी डॉ. अर्चना श्रीवास्तव जी को वर्तमान विभागीय सत्र में सर्वसम्मति से परिषद का राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। ज्ञातव्य है कि डा. अर्चना काफी लंबे समय से साहित्यिक गतिविधियों के अलावा सामाजिक और राष्ट्र हितार्थ में दीर्धकालिक साहित्य प्रेमी और समाज सुधारक का अहम दायित्व बखूबी निभाती आ रही हैं ।ऐसे में अब भारतीय संस्कृति और हिंदुत्व रक्षार्थ पूर्ण समर्पित होना शुभ माना जाना घनात्मकता का बोधक है।
हिन्दुत्व अध्यात्मिक विचारधारा को सर्वप्रथम ९०५७ ईसा पूर्व, स्वायंभुव मनु ने प्रतिपादित किया। श्रीराम का ५११४ ईसा पूर्व और श्रीकृष्ण का ३११२ ईसा अवतरण हुआ। वर्तमान शोध के अनुसार १२ से १५ हजार वर्ष पूर्व, अर्थात शिवकाल पूर्व हीं मानव सभ्यताकाल का अध्यायस्वरुप यह सनातनी धर्म अस्तित्व में आया। पुरातत्व विभाग और शिलालेखों में लगभग २४ हजार वर्ष पुराना है। हिन्दू धर्म जिसे रक्षित करना उचित और अतिआवश्यक प्रतीत होता है। सनातन धर्म परिषद के साथ अनेकों सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्थाओं, सनातनधर्म से जुड़ी संस्थाओं/संगठनों ,सनातन धर्म प्रेमी प्रबुद्ध लोगों ने उन्हें बधाइयां और शुभकामनाएं प्रेषित किया है।
अंतरराष्ट्रीय श्रेया क्लब की संस्थापिका डॉ. अर्चना श्रीवास्तव जी इस अहम महाअभियान में अग्रसारित हो एतदर्थ सभी आर्यश्रेष्टों से सहृदय सहयोग हेतु पूर्ण आशान्वित हैं।
(सुधीर श्रीवास्तव)