बीत गए बीस बरस अवसान के
सादर नमन आपको, पितृ देव
आज फिर आई जनवरी चार।
आपको गए, हो गए बरस बीस,
आपके बिन, मैं होता रहा लाचार।।
बहुत याद आते हैँ आप,
जब रहूँ नितांत अकेले।
जिंदगी का है लम्बा सफर,
यही तो हैं, जीवन के झमेले।।
प्यार दिया बचपन में,
देते रहते सदा ज्ञान।
नहीं मिला सुख, न मिली संपदा,
अचानक तुम हो गए अंतर्ध्यान।।
दी आपने शिक्षा कर्त्तव्य परायण का,
देखा था आपको, करते पाठ रामायण का।।
भक्ति मारुति नंदन की ध्यान लगा रहता,
बिन स्नान, ध्यान औ पूजा ग्रास न जाता।।
धन्य थे आप और था आपका साहस,
एक अकेला मैं, जिसे मिलता ढाढस।
विपत्तियों का होता अनुभव, की पूर्ण तपस्या,
संकट आते,था दृढ़ मन,व्यक्त न की समस्या।।
उस दिन भी समर्पित भाव से कर्त्तव्य में शासन के।
आज देखा, परखा, हो गए बीस बरस अवसान के ।।
राम मणि यादव रायपुर