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नब्ज/नेता

 नब्ज/नेता



मैं नेता हूं 

मगर मैं दूसरे किस्म का नेता हूं 

गली गली नहीं भटकता 

जनता की नब्ज नहीं टटोलता,

क्योंकि मुझे खुद से प्यार है 

जनता का क्या एतबार है?

मैं सत्ता के गलियारों में 

सत्ता की नब्ज टटोलता हूं ,

सत्ता में रहने के लिए सूत्र ढूंढता हूं ।


अपनी पार्टी का अध्यक्ष भी हू्ँ

और कार्यकर्ता भी,

मैं खुद ही पूरी पार्टी हूँ।

ईमान धर्म से मेरा कोई न नाता है,

जनता की सेवा मुझे नहीं भाता है।


बस!मैं तो बस

अपनी भलाई चाहता हूँ, 

जनता जाये भाड़ में

मैं कुछ नहीं जानता हूँ।


सत्ता के लिये मैं

कुछ भी कर सकता हूँ,

कुर्सी के लिए मैं नीचे तक गिर सकता हूँ,

इतना नीचे तक जहाँ आप लोग क्या

मैं खुद भी नहीं सोच सकता हूँ।


ये गुण हमें विरासत में मिले हैं

हमारे पूरखे भी ऐसे ही आगे बढ़े

मलाई काटे और शानोशौकत से

दुनियां छोड़ गये,

हमारे कँधों पर विरासत को

आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी डाल गये।


अब हम भी ईमानदारी से

उनके पद चिन्हों पर चल रहे हैं,

राजनीति का सुख भोग रहे हैं

जनता को उलझाए रखकर

अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंक रहे हैं,

राजनीति का आनंद ही नहीं

सत्ता का सुख भी भोग रहे हैं।


                                सुधीर श्रीवास्तव

                            गोण्डा(उ.प्र.)

                               8115285921