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सपने

 सपने



सूखे पेड़ पर बैठ

कुछ सपनों में खो गई।


कौन हूं मैं आपके लिये

मेरे दिल का हाल पूछा नहीं?

अपने दिल का हाल बताया नहीं,

क्या रिश्ता है तेरा मेरा।


काश, मैं परी होती

करती कुछ जादू तेरे दिल पर,

तुझें अपना बना कर तेरे साथ रहती?

सोती जागती तेरे सपनों में खो जाती।


माँ तेरी बहुत याद आती अब

क्यों शादी के पति बदल जाते

जैसा समझाया वैसा कुछ न होता

हर छोटी बात बड़ी बन जाती

सबके लिये परफेक्ट न बन पाती

माँ तेरी लाडली बेटी अब अपने लिये लड़ नहीं पाती

शिकायतें अब तकिया से करती हूं

सुकून की चादर अब ओढ़ती नही।



                                     प्रतिभा जैन

                                      टीकमगढ़ मध्यप्रदेश