निर्मल साहित्य एक पहल "आज नारियों ने परचम लहराया हिन्दुस्तान में"
दिनांक 8 मार्च दिन मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर निर्मल साहित्य एक पहल संस्था पर आनलाइन कवयित्री सम्मेलन का आयोजन किया गया ।जिसमें देश की कई प्रतिष्ठित कवयित्रियों ने अपना काव्य पाठ किया ।मुख्य आतिथ्या के रूप में राष्ट्रीय कवयित्री सरिता सिंघई कोहिनूर जी रहीं। संचालन ऋचा मिश्रा रोली ने किया |
पटना बिहार की कवयित्री प्रीति सुमन ने मां शारदे का आवाहन किया, इसके पश्चात रश्मि सक्सेना जी ने "मैं नारी हूं मै पुरुष नहीं हारी हूं" पढ़ा , प्रीति सुमन ने "न आना इस देश जानकी" ,और "पिया मिलन को जाना है सखी" बहुत ही सुन्दर भाव से पढ़ा । मध्य प्रदेश से ओज की कलम आरती अक्षय गोस्वामी जी ने अपने देश के प्रति समर्पित होकर "दिल में तुम्हारे केवल और केवल हिन्दुस्तान होना चाहिए" पढ़ा ,पलक जैन ने अपनी रचना में समाज की कुरीतियां दिखाते हुए "आखिर क्यों एक नारी दूजी नारी पर भारी है" पढ़ा ।संजना जोशी ने "ये न सोचो बेटी तो पराए घर जाएगी" पढ़ा और अंत में कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सरिता कोहिनूर जी ने सभी का उत्साहवर्धन करते हुए नारी शक्ति के प्रति अपनी रचना "आज नारियों ने परचम लहराया हिन्दुस्तान में पढ़कर जोश पैदा कर दिया।
सभी कवयित्रियो ने एक दूसरे का उत्साहवर्धन संग संस्था का आभार व्यक्त किया |
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर ऑनलाइन प्रोग्राम में मुख्य अतिथि के रुप में श्रीमती सरिता सिंघई कोहिनूर जी ने निर्मल साहित्यिक समूह के पटल पर अपना अमूल्य समय व योगदान देकर नारी जगत को प्रोत्साहन दिया।हम सभी आ. सरिता "कोहिनूर"जी का बहुत बहुत आभार व्यक्त करते है साथ ही साथ पटल पर आईं हुई सभी कवयित्रियों का आभार व्यक्त करते है |
सुधीर श्रीवास्तव