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एक साँस आती है एक साँस जाती है - सीमा वर्णिका

 एक साँस आती है एक साँस जाती है ● सीमा वर्णिका 



टा, 07 अप्रैल 

राष्ट्रीय तूलिका मंच द्वारा आयोजित कात्यायनी जीवंत काव्य पाठ का आयोजन मुख्य अतिथि मुकेश कुमार तिवारी, मस्कट ओमान से पधारे टेकू वासवानी, संरक्षक घनश्याम सहाय, अध्यक्ष नवलकिशोर सिंह एवं संस्थापक डाॅ0 राकेश सक्सेना , डाॅ0 रूपचन्द्र शास्त्री मयंक के पावन सान्निध्य में सम्पन्न हुआ। इस आयोजन में कानपुर महानगर की स्वनामधन्य कवयित्री सीमा वर्णिका ने काव्य पाठ की भूमिका में कहा कि नवरात्र की षष्ठी तिथि पर आदिशक्ति दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करने का विधान है। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहाँ पुत्री के रूप में जन्म लिया था, इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। मेरे लिए गर्व की बात है कि तूलिका संस्था ने मुझे इस स्वरूप में काव्य पाठ करने का सुअवसर प्रदान किया। माँ सरस्वती व अम्बे का आह्वान करते हुए उन्होंने सुनाया--' छठे दिन पूजें जन देवी माँ कात्यायनी, ऋषि कात्यायन पुत्री महिषासुर मर्दिनी ' श्रोताओं के विशेष अनुरोध पर अपनी उड़ान रचना से ' उड़ान भरने की बंदिशें थीं तमाम,ऊर्जा को दिशा देने में मन था नाकाम ' सुनाकर सभी को भावविभोर कर दिया। माँ मैं थी तेरी सोन चिरैय्या, एक साँस आती है,एक साँस जाती है तधा क्यों जलाते रावण बतलाओ तुम, पहले खुद तो राम बन जाओ आदि अनेक रचनाओं से श्रोतागणों को रससिक्त किया।

अंतरराष्ट्रीय कवि एवं संस्थापक डाॅ0 राकेश सक्सेना ने सीमा वर्णिका के काव्य पाठ की सराहना करते हुए कहा कि कवयित्री की रचनाएँ भाव संप्रेरित हैं, कला शिल्प में सादगी, स्वच्छता की अतुल शक्ति समाहित है। मुख्य अतिथि मुकेश कुमार तिवारी, टेकू वासवानी ( मस्कट ओमान ) , संरक्षक घनश्याम सहाय व डाॅ0 रूपचन्द्र शास्त्री मयंक ने कवयित्री के काव्य पाठ को उच्च स्तरीय बताकर अपना आशीष प्रदान किया। अध्यक्ष नवलकिशोर सिंह ने अपने कर कमलों से सीमा वर्णिका को कात्यायनी सम्मान का प्रमाण पत्र प्रदान किया। उन्होंने कहा कि साहित्य-कला मनुष्य की समृद्धि को बल देता है।

इस अवसर पर वंदना नामदेव राजे, सरिता बजाज गुलाटी, किरण आगाल,मीरा भारती, अर्चना कोहली, रमेश चन्द्र शर्मा, हरिओम श्रीवास्तव, अनुराधा प्रियदर्शिनी, शिवांश सरल, सुधीर मिश्रा, मीना शर्मा मीन, शशिकला नायक, ब्रह्मनाथ पाण्डेय मधुर, मनोज चतुर्वेदी, संतराम सलाम, अनिल राही, कृष्णकांत मिश्र, ऋषि कुमार दीक्षित, मृदुला श्रीवास्तव, प्रियंका त्रिपाठी आदि अनेक साहित्यकार उपस्थित रहे। शशिकला नायक ने सभी आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।